भारत मे अब ऑर्गेनिक खेती करना हूवा बहोती आसान जानिए कैसे करे खेती।

भारत में ऑर्गेनिक खेती (जैविक खेती) की लोकप्रियता तेजी से बढ़ रही है। रासायनिक खादों और कीटनाशकों के दुष्प्रभावों के कारण किसान अब प्राकृतिक तरीकों से खेती करने पर जोर दे रहे हैं। ऑर्गेनिक खेती न केवल मिट्टी की उर्वरता बढ़ाती है, बल्कि पर्यावरण के लिए भी सुरक्षित है। इस लेख में हम स्टेप बाय स्टेप तरीके से जानेंगे कि भारत में ऑर्गेनिक खेती कैसे शुरू करें।


Table of Contents

ऑर्गेनिक खेती क्या है?

ऑर्गेनिक खेती एक प्राकृतिक खेती पद्धति है जिसमें रासायनिक उर्वरकों, कीटनाशकों और जीएम (GMO) बीजों का उपयोग नहीं किया जाता। इसके बजाय, जैविक खाद, कंपोस्ट, हरी खाद और जैविक कीटनाशकों का प्रयोग किया जाता है।


ऑर्गेनिक खेती के लाभ

  1. मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार – जैविक खेती मिट्टी की उर्वरता बढ़ाती है।
  2. पर्यावरण के अनुकूल – रसायनों के उपयोग से भूमि और जल प्रदूषण नहीं होता।
  3. स्वास्थ्यवर्धक उत्पाद – ऑर्गेनिक फसलें पोषक तत्वों से भरपूर होती हैं।
  4. कम लागत – रासायनिक खादों और कीटनाशकों पर खर्च कम होता है।
  5. बेहतर बाजार मूल्य – ऑर्गेनिक उत्पादों की मांग बढ़ रही है, जिससे किसानों को अधिक मुनाफा होता है।

ऑर्गेनिक खेती शुरू करने के चरण (Step-by-Step Guide)

चरण 1: मिट्टी की जाँच और तैयारी

ऑर्गेनिक खेती शुरू करने से पहले मिट्टी की जाँच करवाना जरूरी है। मिट्टी में पोषक तत्वों, pH स्तर और जैविक कार्बन की मात्रा का पता लगाएं।

मिट्टी सुधार के तरीके:

  • हरी खाद – मूंग, ढैंचा, सनई जैसी फसलों को उगाकर मिट्टी में मिला दें।
  • कंपोस्ट खाद – गोबर की खाद, वर्मीकम्पोस्ट या किचन वेस्ट से बनी खाद का उपयोग करें।
  • जैविक उर्वरक – राइजोबियम, एजोटोबैक्टर जैसे जैविक उर्वरकों का प्रयोग करें।

चरण 2: ऑर्गेनिक प्रमाणन प्रक्रिया

भारत में ऑर्गेनिक उत्पादों को बेचने के लिए प्रमाणन जरूरी है। प्रमुख प्रमाणन संस्थाएं:

  • NPOP (National Programme for Organic Production)
  • APEDA (Agricultural and Processed Food Products Export Development Authority)
  • PGS-India (Participatory Guarantee System)

प्रमाणन प्रक्रिया:

  1. आवेदन करें – किसी मान्यता प्राप्त प्रमाणन एजेंसी से संपर्क करें।
  2. इंस्पेक्शन – खेत का निरीक्षण किया जाएगा।
  3. प्रमाणन मिलना – सभी शर्तें पूरी होने पर प्रमाणपत्र जारी किया जाता है।

चरण 3: फसल चयन

ऑर्गेनिक खेती के लिए सही फसल का चुनाव महत्वपूर्ण है। कुछ लोकप्रिय ऑर्गेनिक फसलें:

फसल प्रकारउदाहरण
अनाजगेहूं, चावल, बाजरा
दलहनमूंग, चना, मसूर
सब्जियाँटमाटर, पालक, बैंगन
फलआम, केला, संतरा
मसालेहल्दी, अदरक, लहसुन

चरण 4: जैविक खाद और उर्वरक का उपयोग

रासायनिक खादों के बजाय निम्न जैविक खादों का प्रयोग करें:

खाद का प्रकारउपयोग विधि
गोबर की खाद10-15 टन प्रति हेक्टेयर
वर्मीकम्पोस्ट5-6 टन प्रति हेक्टेयर
जीवामृत200 लीटर प्रति एकड़ (छिड़काव)
नीम की खली1-2 क्विंटल प्रति एकड़

चरण 5: जैविक कीट एवं रोग प्रबंधन

ऑर्गेनिक खेती में कीटनाशकों के बजाय प्राकृतिक तरीकों का उपयोग किया जाता है।

प्राकृतिक कीटनाशक:

  • नीम का तेल – कीटों को दूर भगाने के लिए।
  • लहसुन-मिर्च का घोल – फफूंद और कीड़ों से बचाव के लिए।
  • गौमूत्र – पौधों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है।

चरण 6: सिंचाई प्रबंधन

  • ड्रिप इरिगेशन – पानी की बचत करता है।
  • मल्चिंग – मिट्टी की नमी बनाए रखने के लिए।

चरण 7: कटाई और भंडारण

  • फसल की कटाई सही समय पर करें।
  • ऑर्गेनिक उत्पादों को अलग से स्टोर करें ताकि रासायनिक उत्पादों से मिलावट न हो।

चरण 8: मार्केटिंग और बिक्री

ऑर्गेनिक उत्पादों को बेचने के लिए निम्न चैनल्स का उपयोग करें:

  • ऑर्गेनिक स्टोर्स (जैसे – Nature’s Basket, Organic India)
  • ऑनलाइन प्लेटफॉर्म (जैसे – BigBasket, Amazon Organic)
  • सरकारी योजनाएँ (जैसे – Paramparagat Krishi Vikas Yojana)

ऑर्गेनिक खेती में चुनौतियाँ और समाधान

चुनौतीसमाधान
प्रारंभिक लागत अधिकसरकारी सब्सिडी और ऋण सुविधाओं का लाभ उठाएं।
जैविक प्रमाणन की प्रक्रिया जटिलPGS-India जैसी सरल प्रमाणन प्रणाली चुनें।
कीट प्रबंधन में मुश्किलनीम, गौमूत्र जैसे प्राकृतिक उपचार नियमित रूप से प्रयोग करें।

निष्कर्ष

ऑर्गेनिक खेती भारत के किसानों के लिए एक टिकाऊ और लाभदायक विकल्प है। सही योजना, प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग और बाजार की जानकारी के साथ कोई भी किसान ऑर्गेनिक खेती कर सकता है। सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का लाभ उठाकर आप इस क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकते हैं।

भारत में ऑर्गेनिक खेती – अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

1. ऑर्गेनिक खेती क्या है?

ऑर्गेनिक खेती (जैविक खेती) एक प्राकृतिक खेती पद्धति है जिसमें रासायनिक उर्वरकों, कीटनाशकों और हानिकारक रसायनों का उपयोग नहीं किया जाता। इसमें जैविक खाद, गोबर, वर्मीकंपोस्ट, हरी खाद और प्राकृतिक कीटनाशकों का उपयोग किया जाता है।

2. भारत में ऑर्गेनिक खेती की क्या स्थिति है?

भारत में ऑर्गेनिक खेती तेजी से बढ़ रही है। सिक्किम पहला 100% जैविक राज्य है, और अन्य राज्यों जैसे मध्य प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, और उत्तराखंड में भी ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है।

3. ऑर्गेनिक खेती के क्या फायदे हैं?

  • मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है।
  • पर्यावरण को कम नुकसान होता है।
  • उत्पादों में रसायनों का अवशेष नहीं होता, जिससे स्वास्थ्य लाभ होता है।
  • जैविक उत्पादों की कीमत अधिक मिलती है, जिससे किसानों की आय बढ़ती है।

4. ऑर्गेनिक खेती में कौन-कौन सी फसलें उगाई जाती हैं?

  • अनाज: गेहूं, चावल, जौ, बाजरा
  • दालें: मूंग, उड़द, चना, मसूर
  • सब्जियाँ: टमाटर, भिंडी, लौकी, बैंगन
  • फल: आम, केला, पपीता, अमरूद
  • मसाले: हल्दी, धनिया, मिर्च, जीरा

5. ऑर्गेनिक खेती के लिए सरकार कौन-कौन सी योजनाएँ चला रही है?

  • परम्परागत कृषि विकास योजना (PKVY)
  • मिशन ऑर्गेनिक वैल्यू चेन डेवलपमेंट (MOVCD) (पूर्वोत्तर राज्यों के लिए)
  • राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (RKVY)
  • जैविक खेती प्रमाणन योजना

6. जैविक खेती प्रमाणन कैसे प्राप्त करें?

भारत में ऑर्गेनिक खेती प्रमाणन के लिए एनएपीओपी (NPOP – National Programme for Organic Production) के तहत PGS-India और एनओपी (NOP) प्रमाणन प्राप्त किया जा सकता है। इसे APEDA (Agricultural and Processed Food Products Export Development Authority) द्वारा नियंत्रित किया जाता है।

7. ऑर्गेनिक खेती और प्राकृतिक खेती में क्या अंतर है?

  • ऑर्गेनिक खेती: इसमें जैविक खाद, वर्मीकंपोस्ट, हरी खाद और प्राकृतिक कीटनाशक उपयोग किए जाते हैं।
  • प्राकृतिक खेती: इसमें किसी भी बाहरी तत्व का उपयोग नहीं किया जाता, बल्कि देशी गाय के गोबर, गौमूत्र, जीरो बजट फार्मिंग और मल्चिंग तकनीकों का उपयोग होता है।

8. क्या ऑर्गेनिक उत्पाद महंगे होते हैं?

हाँ, ऑर्गेनिक उत्पादों की लागत अधिक होती है क्योंकि इनका उत्पादन कम होता है और प्रमाणन की प्रक्रिया महंगी होती है। लेकिन लोग इनकी उच्च गुणवत्ता और स्वास्थ्य लाभों के कारण अधिक कीमत चुकाने को तैयार रहते हैं।

9. भारत में ऑर्गेनिक उत्पादों के लिए सबसे बड़े बाजार कौन से हैं?

  • घरेलू बाजार: दिल्ली, मुंबई, बैंगलोर, चेन्नई और हैदराबाद में ऑर्गेनिक स्टोर्स और सुपरमार्केट उपलब्ध हैं।
  • निर्यात बाजार: अमेरिका, यूरोप, जापान और ऑस्ट्रेलिया भारतीय ऑर्गेनिक उत्पादों के बड़े खरीदार हैं।

10. ऑर्गेनिक खेती में चुनौतियाँ क्या हैं?

  • उत्पादन की कम मात्रा
  • प्रमाणन की उच्च लागत और जटिल प्रक्रिया
  • बाजार में प्रतिस्पर्धा
  • किसानों को जैविक तकनीकों की सही जानकारी की कमी

निष्कर्ष

भारत में ऑर्गेनिक खेती का भविष्य उज्ज्वल है। सरकार की सहायता, जागरूकता बढ़ने और निर्यात बढ़ने से यह एक लाभदायक विकल्प बन सकता है। यदि सही रणनीति अपनाई जाए, तो यह किसानों की आमदनी बढ़ाने और पर्यावरण को सुरक्षित रखने में मददगार साबित होगी।

Welcome to FarmerTrick.com, your go-to resource for practical farming wisdom, innovative techniques, and time-tested strategies to enhance agricultural productivity.

Leave a Comment